मजिंल का पता शायद आने वाला साल बताएँगा
प्यार की लाली ही क़ाफ़ी है
फ़ागुन का गुलाल रहने दो
अपने हाथों का क़माल रहने दो
हमें ये मलाल रहने दो
हमारे हिस्सें में ज़न्नत हैं तो ज़मीं पर
क्यूँ
नहीं मिलती ये सवाल रहने दो
तुम्हारे बिन जो गुज़र रहें हैं दिन
उनका हाल-चाल रहने दो
जो टूटकर गिरा हैं आँख से वो ही हाल बताएँगा
हमारा हाल-चाल क्या गुजरा हुआ साल बताएँगा
मछली का ये जाल रहने दो
ख़त भेजा हैं ख़त का ज़वाब
दें देना, ये मोबाईल रहने
दो
चूप-चूप मेरी आवाज़ सुनने का
ये बहाना भी अच्छा है
सीधें कॉल कर लेना
अब ये मिस कॉल रहने दो
तुम्हें पाकर हुआ हैं जो मालामाल बताएँगा
हमारे दिल का हाल अब नया साल बताएँगा
तरूण कुमार, सावन